मंगलवार व्रत कथा
पुराने समय में किसी नगर में एक ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ रहता था ब्राह्मण के कोई संतान नहीं थी संतान न होने के कारण ब्राह्मण बहुत ही दुखी रहता था ब्राह्मण हनुमान जी की पूजा के लिए वन में चला गया संतान प्राप्ति के लिए ब्राह्मणी ने भी मंगलवार का व्रत करना शुरू कर दिया वह प्रत्येक मंगलवार को हनुमान जी महाराज की पूजा करती पूजा के बाद ही भोजन ग्रहण करती थी
एक बार मंगलवार को ब्राह्मणी ने भोजन नहीं बनाया जिस कारण वह हनुमानजी को भोग नहीं लगा सकी तो ब्राह्मणी ने भी भोजन ग्रहण नहीं किया और प्रण किया कि वह अगले मंगलवार को हनुमान जी के भोग लगाकर ही भोजन को ग्रहण करेगी ब्राम्हणी 6 दिन तक बिना भोजन किए सूती रही और सातवे दिन मंगलवार को वह बेहोश हो गई ब्राह्मणी की भक्ति को देखकर हनुमान जी ने ब्राह्मणी को वरदान स्वरूप एक सुंदर पुत्र दिया
ब्राह्मणी हनुमान जी के इस वरदान से बहुत ही खुशी हुई। बालक का नाम मंगल रखा गया वह बहुत ही सुंदर था कुछ समय पश्चात ब्राह्मण वन से अपने घर लौटा तो उसने देखा कि आंगन में एक सुंदर बालक खेल रहा था उसने ब्राह्मणी से पूछा यह बालक किसका है तो ब्राह्मणी ने बताया कि उसने प्रत्येक मंगलवार का व्रत किया जिससे हनुमान जी प्रसन्न होकर वरदान स्वरूप उन्हें बालक दिया है ब्राह्मण को अपनी पत्नी की बातों पर जरा भी विश्वास नहीं हुआ उसने एक दिन बालक को कुएं के पास ले गया और उसे कुएं में फेंक दिया
जब ब्राह्मण घर पर आया तो उसकी पत्नी ने पूछा कि मंगल कहां है तब ब्राह्मण कहने वाला था कि मंगल तो कुए में गिर गया तभी पीछे से मां की आवाज आई ब्राह्मण ने पीछे देखा तो मंगल मुस्कुराता हुआ आ रहा था मंगल को देखकर ब्राह्मण बहुत ही आश्रयचकित हुआ रात को हनुमान जी ने ब्राह्मण के स्वप्न में दर्शन देकर बताया कि मंगल को वरदान स्वरुप मेने ही तुम्हें दिया है यह तुम्हारा ही पुत्र है सच को जानकर ब्राह्मण बहुत ही प्रसन्न हुआ और उसने मंगल को गोद में ले लिया दोनों पति पत्नी ने नियमित रूप से मंगलवार का व्रत किया।
हनुमान जी की कृपा से उन्हें संतान की प्राप्ति हुई जिससे उनका जीवन खुशियों से भर गया मंगलवार का व्रत करने वाले पर सदैव हनुमानजी जी की कृपा बनी रहती है उनका जीवन कष्ट से मुक्त हो जाता है
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